तमाम शहर में जिस अजनबी का चर्चा है
सभी की राय है वो शख्स मेरे जैसा है
बुलावे आते हैं कितने दिनों से सहरा से
मैं कल ये लोगों से पूछूंगा किस को जाना है
कभी ख़याल यह आता है खेल खत्म हुआ
कभी गुमान गुज़रता है एक वक्फा है
सुना है तर्के-जुनूँ तक पहुंच गये हैं लोग
ये काम अच्छा नहीं पर मआल अच्छा है
ये चलचलाव के लम्हें हैं अब तो एक बोलो
जहां ने तुमको कि तुमने जहां को बदला है
पलट के पीछे नहीं देखता हूँ ख़ौफ़ से मैं
कि संग होते हुए दोस्तों को देखा है