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तय करें मिल के हम तुम ब'हम रास्ता / राजेंद्र नाथ 'रहबर'

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तय करें मिल के हम तुम ब`हम रास्ता
बढ़ के ले गा हमारे क़दम२ रास्ता
         
कौन गुज़रा है आहों में डूबा हुआ
हो गया किस के अश्कों से नम रास्ता

लम्से-अव्वल तेरे पांव का जब मिला
हो गया और भी मुहतरम रास्ता

राहे-उल्फ़त के पुर-जोश राही हैं हम
चूमता है हमारे क़दम रास्ता

ख़ुद-बख़ुद आयेंगी मंज़िलें सामने
ख़ुद बतायेगा नक्श़े-क़दम रास्ता

हम भी पहुँचें सरे-मंज़िले-सरख़ुशी
दे अगर हम को शामे-अलम रास्ता

ये सफ़र, ये हसीं शाम ये घाटियां
कितना दिलकश है पुर-पेचो-ख़म रास्ता

क्यों न 'रहबर` चलूं मंज़िलों मंज़िलों
मेरी तक्द़ीर में है रक़म रास्ता