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तरणीसी बेटियाँ / नीरजा हेमेन्द्र
Kavita Kosh से
सर्द कठोर रातों में
रूई-सा अहसास हैं
पल-पल फिसलते समय चक्र में
स्थाई आभास हैं,
जब साया भी दृश्य न हो
तब पास हैं
हृदय के तम में प्रकाश हैं
सोन चिरैया-सी हैं
फूलों की वास हैं
उथले-गहरे भव सागर में
तरणी-सी हमारे पास हैं बेटियाँ।