भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तरबा लहरिया राजा के चढ़लै / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तरबा लहरिया राजा के चढ़लै
कुरसी पर से राजा उठैय
ड्योढ़ी परमे राजा एलैय
नजरि पड़ि गेलै करिकन्हा पर
बात-बातमे झगड़ा बझलै
युद्ध पड़ि गेलै करिकन्हा से
उनटा जादू हौ राजा मारै छै
आँखि आन्हर करिकन्हा के करै छै
बान्हि के बनिसार करिकन्हा के धऽ देलकै।
मने मन करिकन्हा पलटनियाँ के कहै छै
एको नइ जादू हमरा मैया नइ सीखेलकै रौ।
हाय-नारायण हाय ईसबर जी
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
सात दिन जे फेर भऽ गेलै
मोनमे विचार साँमेर जे करै छै
सुग्गा हीरामनि बाट तकै छै
सुनऽ सुनऽ हौ सुग्गा हीरामनि
बड़ गुणी छेलै भागिन करिकन्हा
घुरि के फेर भगिना नइ एलै
आब केकरा भेजबै राजा महिसौथा से