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तरबा लहरिया राजा के चढ़ि गेल। / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तरबा लहरिया राजा के चढ़ि गेल।
नजरि पड़ि गेलै देवता उपरमे
तबे ऑडर कुल्हेसर दै छै
सुनले रौ बौआ बौआ पलटनियाँ
चोरबा हाजिर ड्योढ़ी केलै
उनटा बाँन्ह चोरबा के बान्हि दे
हा हाजत घरमे चोरबा के दऽ दे।
कड़ा सवाल कुल्हेसर के छेलै
चाँप चढ़ा के देवता के बान्है छै
आ जेल के घरमे राजा चललै
एको नइ जवाब नरूपिया दै छै
तखनी मने मन नरूपिया सोचै छै
हाय नारायण जुलुम बीतैय
हाय नारायण हाय विधाता
हाय ईसबर जी तोरा कहै छी
दिल के वार्त्ता कहल नै जाइये
केना गे मैया हमरा लगतै
जुलुम बीतै छै राज पकरिया
कतउ ने भऽ कऽ योगिनियाँ हमरा रखलै।
हौ जेल घरमे नरूपिया जाइ छै
मने मन नरूपिया सोचै छै
हे देवी दुर्गा देवी असावरि
केहेन बान्ह ड्योढ़ी लगैबै
सतयुग छीयै कलयुग एतै
सहजेहि बान्ह देवता लऽ लैतै गै।
चाप चढ़ाकऽ पलटनियाँ बन्है छै
जेल के घरमे पलटनियाँ जाइ छै
ड्योढ़ी पर से पलटनियाँ चललै
देवता नरूपिया के बान्ह खुगलै
हा अपने नरूपिया ड्योढ़ी टहलै
छौड़ा पलटनियाँ अखने गयलै
हा घुरि कऽ पलटनियाँ जेल घरमे दै छै।
केना बान्ह चोरबा के खुगलै
हा केना आइ भागि ड्योढ़ी से अयलै
राजा कुल्हेसर ड्योढ़ीमे बैठल
सोलहो तमाशा ड्योढ़ी से देखैय
केना आय बान्ह आइ चोरबा के खुलि गेलै यौ।
दुइ बेर बान्ह पलटनियाँ बँन्हे छै
एको बैर नै बान्ह नरूपिया लै छै
तरबा लहरि राजा के चढ़ि गेल
छौड़ा पलटनियाँ दिल के वार्त्ता
नीमक हराम तूहीं भऽ गेल
चोरबा नै बान्हल ड्योढ़ीमे जाइ छै
हा केना बान्ह बौआ सभ बान्है छै
हँसी-मजाक तऽ ड्योढ़िया पर करै छै रौ।।