भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तरस बेवफा पर न खाएंगे हम / ज्ञानेन्द्र मोहन 'ज्ञान'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तरस बेवफा पर न खाएंगे हम।
तुम्हें आज से भूल जाएंगे हम।

हुआ सो हुआ ख़त्म कर दो यहीं,
किसी को नहीं कुछ बताएंगे हम।

बहुत बार समझा चुके हैं तुम्हें,
लगातार धोखे न खाएंगे हम।

सुनो बात मेरी बड़े गौर से,
तुम्हें तो नहीं अब बुलाएंगे हम।

निकल 'ज्ञान' लो तुम बड़े शौक से,
न नखरे तुम्हारे उठाएंगे हम।