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तराशे गये हम बहुत प्यार से / अवधेश्वर प्रसाद सिंह
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तराशे गये हम बहुत प्यार से।
चुरायें न मुँह उन कलाकार से।।
मिली ज़िन्दगी ये अमानत मुझे।
झुकाते रहें सिर अदाकार से।।
यही आरजू है सदा आपसे।
नज़र मत मिलाएँ निराकार से।।
बहर पर अमल से बनेंगी ग़ज़ल।
मधुर स्वर सुनेंगे ग़ज़लकार से।।
बनेंगे ग़ज़ल, गीत जो भी यहाँ।
सजेगी ये महफ़िल भी फनकार से।।