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तर्क और संस्कार / माया मृग

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भीतर को दिये गये
तर्कों का उत्तर
संस्कारों की करूण चुप्पी है !
चुप्पी के माने मान लेना नहीं है,
सिर्फ झुक जाना है।
संस्कारों का कोई आकार नहीं है।
कोई भी आकार लेने का अवकाश
अपने ही प्रकाश पुंज से
पहले से हारी हुई लड़ाई है।
आकार सिर्फ प्रकाश के कोण नही होते।
तर्क की बनावट और
संस्कार की बुनावट में बुनियादी फर्क है,
सपने देखने और
सपने चुरा ले जाने जैसा फर्क,
कि जिसमें तर्क के पास
सारी शहादतें हैं,
सारी गवाहियां है !
संस्कार तो अभियुक्त हैं !
सच के हक में लड़ते,
तर्कहीन, चुप्प लेकिन वाचाल अभियुक्त !
पक्षद्रोही गवाह सामने खड़े
मुँह बनाते हैं
और तर्क एक के बाद एक
अपने गठबंधन खोलता है
तर्क की बनावट
गठीली है,
पर संस्कार की बुनावट,
मजबूत है, बेशक लचीली है।