तर्जनी से लखाये अन्तरिक्ष दीखै नहीं गुरु से लखाया
राजप्रसाद पइठ राजकन्या से क्रीड़े
खटाई के हटने से पूर्व जिमि
खटाई देखै, सर्वविषय तथता में जानै
गणचक्र के ललाट में ही कुन्दरू (भग : नभ)
आकाश- अवकाश में महासुख देखि
अहो डाकिनी गुह्य वचन ।
पंडित राहुल सांकृत्यायन द्वारा अनूदित