तलाफ़ी वफ़ा की जफ़ा चाहता हूँ
तुम्हीं ख़ुद ये कह दो बुरा चाहता हूँ
कोई मोल ले तो बका चाहता हूँ
मैं साहब से बंदा हुआ चाहता हूँ
तुम्हीं चाहो मुझ को तो क्या चाहिए फिर
मैं इस के सिवा और क्या चाहता हूँ
मेरा मुद्दआ क्या समझते नहीं हो
तुम्हें चाहता हूँ तो क्या चाहता हूँ
मसीहा हो गर तुम तो अपने लिए हो
मैं अपने मर्ज़ की दवा चाहता हूँ
तुम्हें चाहूँ मैं तुम रक़ीबों को चाहो
ये इंसाफ़ पेश-ए-ख़ुदा चाहता हूँ