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तलाश ही लेता मन / सदानंद सुमन
Kavita Kosh से
विफलताओं की हताशा से
तमाम कोशिशों के बावजूद
जब नहीं पाते उबर
करते याद
ईश्वर को।
चित्त की अशांत मनःस्थितियों में
तमाम विसंगतियों के बावजूद
होतीं मौजूद
तब भी जीने की चाहत
लौटते पुनः
घर को।
खुद को स्थापित करने की जद्दोजहद में
तमाम संघर्षों के बावजूद
होकर स्खलित
रह जाते जब हाशिये पर
कोसते भाग्य को।
अपनी कोशिशों
विसंगतियों और संघर्ष की
तमाम कष्टदायक स्थितियों में
तलाश ही लेता मन
सुकून के लिए
कोई न कोई
सुरक्षित स्थान।