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तलाश / उमा शंकर सिंह परमार
Kavita Kosh से
तुम असीम त्याग
मैं असीम भोग
हम दोनों के बीच
अन्तिम साँसे ले रहा हमारा प्रेम
“मध्यम” हो जाने की
सुरक्षित गली तलाश रहा है
महात्मा बुद्ध से लेकर वात्सायन तक
तय की गई प्रक्रियाओं में
एक पैराग्राफ तलाश रहा है
चूल्हे में धिक् रही जवान आग
में तपकर
बर्फ़ीली हवाओं की छुवन तलाश रहा है