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तलाश / सुभाष राय
Kavita Kosh से
मौसम साफ होने पर कोई भी
बाढ़ के खिलाफ पोस्टर लगा सकता है
बिजली को ग़ालियाँ बक सकता है
तूफ़ान के ख़िलाफ़ दीवारों पर नारे लिख सकता है
जब हवा शीतल हो, धूप मीठी हो
कोई भी क्रान्ति की कहानियाँ सुना सकता है
घर मे लेनिन और माओ की तस्वीरें टाँग सकता है
लेकिन जब मौसम बिगड़ता है
गिने-चुने लोग ही घर से बाहर निकलते हैं
बिजलियों की गरज से बेख़बर
बाढ़ के खिलाफ बान्ध की तरह
बिछ जाने के लिए
ऐसे कितने लोग हैं
धरती उन्हें चूमना चाहती है प्यार से