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तवानाई / नज़ीर बनारसी

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तवानाई <ref>शक्ति, उर्जा</ref>

अपनी मज़लमी की ताक़त अब दिखा सकते हैं हम
जा़लियों के जु़ल्म की धज्जी उड़ा सकते हैं हम

दोस्ती में घात करने वाले तेरा शुक्रिया
दोस्त अब सारे जमाने को बना सकते हैं हम

साथ है कु़दरत हमारे और हम कु़दरत के साथ
हद से जो आगे बढ़े पीछे हटा सकते है हम

मुश्किलें आया करें मुश्किल से घबराता है कौन
मौत भी आये तो सीने से लगा सकते हैं हम

अपने आँसू पोंछ ले ऐ मादरे हिन्दोस्ताँ
इस लुटी हालत पे भी सब कुछ लुटा सकते हैं हम

ऐ द़गावाजो फ़क़त तुमको डुबोने के लिए
खू़न की नद्दी तो क्या दरिया बहा सकते हैं हम

दूसरे दरियाओं के माँझी को क्यों आव़ाज दें
जब लहू में डूब के बेड़ा बचा सकते हैं हम

हमने जो फेंके वह तौके ग़ुलामी <ref>गु़लामी की हँसुली</ref> लाइए
आज उस लोहे से संगीने बना सकते हैं हम

सॉँस लेने की न मुहलत लि सकेगी मौत को
आवरू पर इतनी क़ुरबानी चढ़ा सकते हैं हम

गोलियों की सनसनाहट हो कि तोपों की गरज
गीत आज़ादी का सब साज़ों पे गा सकते हैं हम

फिर कफ़न की क्या ज़रूरत हमको ऐ ख़ाके वतन
जब तिरी चादर से अपने को छिपा सकते हैं हम

ठोकरें क्यों खाने जायेंक ायरों के पाँव की
गोलियाँ हँस-हँस के जब सीने पे खा सकते हैं हम

अपना मज़हब है मुहब्बत, अपना मसलक <ref>तौर-तरीका,रास्ता</ref> इŸिाहाद <ref>सद्भाव</ref>
ज़ालिमों को छोड़कर दुनिया पे छा सकते हैं

वह कोई पर्वत हो या फाँसी का तख़्ता ऐ ’नजीर’
नज़्म अपनी हर बुलुदी से सुना सकते हैं हम

शब्दार्थ
<references/>