भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तवील जंग में शामिल भी टूट सकते हैं / नवीन सी. चतुर्वेदी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तवील जंग में शामिल भी टूट सकते हैं
रसद रुकी तो मुजादिल<ref>युद्ध लड़ने वाले सिपाही</ref> भी टूट सकते हैं

मुसीबतों के फ़साने को दफ़्न रहने दो
कुरेदने से कई दिल भी टूट सकते हैं

घटाओ अब तो बरस जाओ तपते दरिया पर
तपिश बढ़ेगी तो साहिल भी टूट सकते हैं

तमाम खल्क़ में उलफ़त के सिलसिले फैलाओ
इसी मक़ाम पे क़ातिल भी टूट सकते हैं

अभी हयात का मतलब समझना बाकी है
घटा-बढ़ा के तो हासिल भी टूट सकते हैं

शब्दार्थ
<references/>