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तसलसुल के साथ / शहरयार
Kavita Kosh से
वह, उधर सामने बबूल तले
इक परछाईं और इक साया
अपने जिस्मों को याद करते हैं
और सरगोशियों की ज़र्बों से
इक तसलसुल के साथ वज्द में हैं।