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तहीं ह सपना, तहीं ह सिरतोन / पीसी लाल यादव

तही ह सपना, तही ह सिरतोन,
तोर छोड़ अउ मोर हवय कोन?

तोला अरपन सरबस जिनगी,
चाही तोर चरन के भक्ती।

नई चाही मोला चांदी-सोन॥
तहीं ह सपना, तहीं ह सिरतोन॥

सबे म तोर रूप हे समाय,
कोनो पतियाय के झन पतियाय।

सलिहा-मोंदे का सईगोन।
तहीं ह सपना, तहीं ह सिरतोन॥

तोर ले जिनगी म होथे उजास,
तोर राहत ले काके डर-तरास?

संसो नही, का कईही कोन?
तहीं ह सपना तहीं ह सिरतोन।