तांगो नृत्य करते हुए / शीमा कलबासी / अनिल जनविजय
रे अरलान्दो !
ज़रा याद करो वह रात
रेत पर जब हम चुपचाप नाच रहे थे
संगीत की धुन पर ।
किसी आश्चर्य की तरह तुमने कहे थे
वे शब्द चुपचाप
मेरे कानों की जेबों में।
रे फ़िरोज़ी नीली मस्जिदों वाले शहर ऐसफ़ाहान<ref>तेहरान और मशहद के बाद ईरान का तीसरा महानगर</ref> !
तुम्हारी ज़्यान्देह रूद<ref>ईरान की एक प्रमुख नदी, जिसके किनारे ऐसफ़ाहन नगर बसा हुआ है।</ref> नदी की रेत में
छिप जाते हैं हैं प्रेमी
और उन पर छाया रहता है नीला आकाश
फिर भी शब्द विस्मय पैदा करते हैं
कहे जाते हैं जब वे चुपचाप
मेरे कान की जेबों में
समय अमर है
और मेरी गरिमा रहती है तुम्हारे मन में
तुम्हारे शब्द चमत्कार होते हैं मेरे लिए
जिन्हें मैं गिनती हूँ क़ीमती मोहरों की तरह
और रख लेती हूँ चुपचाप
अपने आँसुओं की जेब में ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यह कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Sheema Kalbasi
Dancing Tango
Oh, Orlando!
Remember the night we danced
quietly on the sands where music
was played? Your words were
wonderers, said quietly
in the pockets of my ears.
Oh, Esphahan!
With your turquoise blue mosques
and lovers hiding under the sands
by the Zayandehrood and its haunting
blue skies. Still the words did
wonders when they were said quietly
in the pockets of my ears.
Time is eternity, my dignity
resides in yours and your
words are wonders that I count
as precious coins kept quietly
in the pockets of my tears.