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ताज़गी, ज़िंदादिली, रौनक, नज़ाकत आपकी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'

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ताज़गी, ज़िंदादिली, रौनक, नज़ाकत आपकी
डाल देती जान हर महफ़िल में शिरकत आपकी।

मुस्करा, मुड़-मुड़ पलट कर कनखियों से देखना
जादुई हर इक अदा, ढाये क़यामत आपकी।

नज़्म है या यह मेरे दिल की खुली तहरीर है
आप जैसी लेखनी है ख़ूबसूरत आपकी।

दर्ज ख़त में जाफरानी शेर दिलकश आपका
दिल ये कहता चूम लूं गर हो इजाज़त आपकी।

'मीर' के लहज़े में वो उम्दा ग़ज़ल कहने लगा
मिल गई ऐजाज़ में जिसको महब्बत आपकी।

मशवरा, वादे पे वादा तोड़ना अब रोकिये
जान ले लेगी किसी की ये शरारत आपकी।

दे रही 'विश्वास' महफ़िल आपको दिल से दुआ
दिन ब दिन बढ़ती रहे दुनिया में शोहरत आपको।