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ताज़गी कुछ नही हवाओं में / देवी नांगरानी

ताज़गी कुछ नही हवाओं में
फस्ले‍‌‍‍‍‍‌‌-ग़ुल जैसे है खिज़ाओं में.

हम जिसे मन की शांति हैं कहते,
वो तो मिलती है प्रार्थनाओं में.

यूं तराशा है उनको शिल्पी ने
जान-सी पड़ गई शिलाओं में.

जो उतारी थीं दिल में तस्वीरें
वो अजंता की है गुफाओं में.

सच की आवाज़ ही जहाँ वालो,
खो गई वक्त की सदाओं में.

तू कहां ढूँढने चली ‘देवी’
बू वफाओं की बेवफाओं में.