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ताज़गी से हरा भरा मौसम / हरिवंश प्रभात

ताज़गी से हरा भरा मौसम।
एक पाल देख लो ज़रा मौसम।

शाम कितनी उदास लगती है,
सुबह देता है मुस्कुरा मौसम।

फूल हरसू लुटा रहा ख़ुशबू,
कुछ न छोड़ा गगन-धरा मौसम।

चाहे झटको इसे निगाहों से,
पर न होता है बेसुरा मौसम।

क्यों है इतनी कशिश अभी तुममें,
इस क़दर है डरा-डरा मौसम।

आरज़ू कर रहे हो तुम इसको,
तेरी बाँहों में है भरा मौसम।

रूठना तेरा कितना प्यारा है,
कह दूँ कैसे है सरफिरा मौसम।