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ताज़ा दिल का घाव हमेशा रहता है। / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
Kavita Kosh से
ताज़ा दिल का घाव हमेशा रहता है।
पर जीने का चाव हमेशा रहता है।
जिस आँगन में दीवारें उग आती हैं,
उस घर में बिखराव हमेशा रहता है।
खुदगर्ज़ी पर क़ाबू पा ले इन्सां तो,
फिर मन में ठहराव, हमेशा रहता है।
ज़ेहन-ओ-दिल जब अपनी अपनी कहते हों,
ऐसे में उलझाव, हमेशा रहता है।
वो जो दिल के काले होते हैं उनका,
मीठा सा बर्ताव हमेशा रहता है।