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ताज़ा शेव किए चेहरे पर पानी के छींटे / यश मालवीय
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ताज़ा शेव किए चेहरे पर पानी के छींटे
पड़े गीत पर बीती हुई कहानी के छींटे
ताज़ा शेव किए चेहरे पर पानी के छींटे
चेहरे पर जो उगा
आइने में भी उग आया
दोनों ने ही चुप रहकर
कुछ अनगाया गाया
'आफ़्टर शेव' छुपाए क्या हैरानी के छींटे
छितराए ब्रश में ही
सारा झाग उतर आया
उछला फूल और आँखों में,
राग उतर आया
एक तौलिए पर हैं सौ मनमानी के छींटे
घुला क्रीम का रंग,
घुली कुछ काया साबुन की
सावन जैसी उठी अचानक,
बदली फागुन की
खिले बेलबूटों जैसे शैतानी के छींटे
धूप खिली, गीले से,
रेज़र-ब्लेड लगे सुस्ताने
बजने लगे एफ़.एम.पर,
सहसा नए-पुराने गाने
उड़े हवा में चिड़ियों से नादानी के छींटे ।