ताजि कै सब काम को तेरे
गलीन में राजहि रोज तो फेरो करै ।
तुव बाट बिलोकत ही 'हरिचंद'
जू बैठि के साँझ सबेरो करै ।
पै सही नहिं जात भई बहुतै सो
कहाँ कह लौं जिय छोरो करै ।
पिय प्यारे तिहारे लिये कब लौं
अब दूतिन को मुख हेरो करै ।
ताजि कै सब काम को तेरे
गलीन में राजहि रोज तो फेरो करै ।
तुव बाट बिलोकत ही 'हरिचंद'
जू बैठि के साँझ सबेरो करै ।
पै सही नहिं जात भई बहुतै सो
कहाँ कह लौं जिय छोरो करै ।
पिय प्यारे तिहारे लिये कब लौं
अब दूतिन को मुख हेरो करै ।