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तानसेन की नगरी से जो गीत सन्देसा बनकर आए / वीरेंद्र मिश्र
Kavita Kosh से
तानसेन की नगरी से जो गीत सन्देसा बनकर आए,
तुम दृग से पढ़ लो, प्राणों से सुन लो, वह जो कुछ भी गाए,
संघर्षित कवि के जीवन को अगर भैरवी दुहराती है,
वे निर्माणी गीत उठेंगे, जो अब तक भी हैं अनगाए ।