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तारा री चुंदरी / राजस्थानी
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
बई-सा रा बीरा, जयपुर जाजो जी
आता तो लाइ जो, तारा री चुंदरी...
सुन्दर गौरी, पोत बतावो जी
कसिक ल्यावा, तारा री चुंदरी...
बई-सा रा बीरा, हरा हरा पल्ला जी
कसुमल रंग की, तारा री चुंदरी...
म्हारी मिरगा नैनी, ओढ़ बतावो जी
कसिक सोवे, तारा री चुंदरी...
बई-सा रा बीरा, ननद हटीली जी,
ओढ़न नहीं दे, तारा री चुंदरी...
म्हारी चंदा बदनी, ओढ़ बतावो जी,
महेला में निरखा, जाली री चुंदरी...
बाई-सा बीरा, जयपुर जाजो जी,
आता तो लाइ जो, तारा री चुंदरी,
महेला में निरखा, जाली री चुंदरी