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तारा / निलिम कुमार
Kavita Kosh से
वह तारा --
आकाश में अकेला घूमता था
और एक दिन अचानक
आ गया मेरे आँगन में
खरगोश की तरह कान खड़े करके
फुदक रहा था
मैं उसे उठा लाया
बहुत ज़िन्दादिल था वह
लेकिन ठण्ड में ठिठुर रहे थे उसके होठ ।
मैंने अपनी पसलियों-हड्डियों के बीच
उसे सहेजकर रखा
और फिर --
कितने युगों तक मेरे पास ही रहा
लेकिन एक दिन मेरे आँगन में
एक और तारा टूटकर गिरा
वह दौड़ गया मेरे कलेजे का दरवाज़ा खोलकर
दोनों तारे एक दूसरे को सहलाने लगे
आँखों-आँखों में करने लगे बातें
और एक-दूसरे से लिपटकर कहीं चले गए
कहाँ गया मेरा लाड़ला तारा
सीने में रखने के लिए
अब कहाँ से लाऊँ तेज़पिया*।
- छिपकली की प्रजाति का एक जीव, जिसके बारे में मान्यता है कि वह दूर से ही रक्त पी जाता है ।
मूल असमिया से अनुवाद : पापोरी गोस्वामी