ताला और चाबी / चित्रा पंवार
1
किस्मत का द्वार
बंद पड़ा है
जाम है ताला
मगर हिम्मत की चाबी है कि
हार नहीं मानती
2
तुमने जुबान कसी
उसकी आंखें बोल उठी
पैरो को बाँधा
वो ख्वाबों के सहारे चलने लगी
दुनिया का कोई ताला
औरत के साहस और जुनून को
बाँध नहीं सकता
3
सच्चे प्रेमी की तरह
ताला भी
तलाशता है
अपने मेल की चाबी
जिसके करीब आते ही वह
खोल कर रख सके
अपनी मन की तमाम गिरहें
4
गौर से देखना
किसी बंद पड़े मकान को
झड़ती दीवारें
सूखा नीम
बेटे की घर वापसी की उम्मीद में
दम तोड़ चुके
मां बाप की बिलखती सदाएँ
और उदास
जंग लगा ताला
5
किसी द्वार पर
ताले को बाँध कर जाती चाबी
लौट आने का भरोसा
नहीं देती
मगर फिर भी
चाबी के आने की प्रतीक्षा में
उम्र भर उस द्वार को छोड़
कही नहीं जाता
प्रेम में बंधा ताला
6
ताला धैर्य वान है
चाबी चंचल
दोनों विपरीत गुणी
प्रेम ऐसे ही चलता है
एक बाँधता है
दूसरा खुशी खुशी
बंध जाता है
7
टूटी लकड़ी की
संदूकची पर
पड़ा ताला
लोगों को विस्मित करता है
उपहास का पात्र है
जगह जगह से
हाथ हाथ भर टूटी
संदूकची पर पड़ा
मोटा मजबूत ताला
मगर दुनिया से बेखबर
मुस्तैदी से पहरा देता ताला
जानता है
मां की स्मृतियों का मोल
8
ताला लोहे का बना है
पिघल सकता है
टूट सकता है
ताले का रहस्य चाबी के पास है
खुल भी सकता है
ताला शक्ति का संकेत नहीं
भरोसे का सूचक है
अपने सही सलामत रहते
स्वामी का विश्वास नहीं टूटने देगा
9
काश!
की बोल सकते ताले
तो सुनाते
बंद घरों
पिंजड़ों में कैद
चिड़ियों की
अनगिनत करुण कहानियाँ
10
जरूरी नहीं
जो गुनाह किसी के सर हो
वो उसने किया भी हो
आखिर जड़े जानें से पूर्व
ताले से उसकी इच्छा
पूछता ही कौन है
11
ताला और चाबी
दोनों
एक ही इस्पात से बने हैं
एक बन्धन का प्रतीक है
तो दूसरा आजादी का
सबका
अपना अपना भाग्य