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तिक तिक धा / रणजीत
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तिक् तिक् धा
जन गंगा
हो शत धा
गा गा गा
गीत
(निश्चित तेरी जीत!)
नव युग का
तिड़ तिड़ धम
बहुत सहे ग़म
साध कर दम
मिला कर कदम
ले कार वाँ
बढ़ ता जा
कर घो षणा
जोंक-व्यवस्था जोंक-व्यवस्था जोंक-व्यवस्था जा
लोक-व्यवस्था लोक-व्यवस्था लोक-व्यवस्था आ
तड़ तड़ तड़, तड़-तड़ ता
लड़ लड़ लड़, लड़ता जा
युग-सूरज को जल्द उगा।