तिजहारिन के विरह / भूषण लाल शर्मा
आही रोटी धरके मोर भैया छोटकू हा,
लाने होहै दीदी ला भैया बढ्कू हा।
देखत रहथौ रद्दा ला संझा रतिहा,
धोवन में रोज मोर फेकाथे बासी टठीया।
मोर देरानी जेठानी मैके सब चल दिन,
कोन जाने भैया मन काबर देरी कर दिन।
जब ले आएवं तब ले कोनो नई आइन,
कइसे दाई ददा दीदी मन मोला बिसाराइन।
आज के खाए काली सब्बो तीजा रहहीं,
इहां के बिटिया देख देख के मोला ठोलही।
संझा होगे घर में करेला साग हा आगे,
नइ आइस मोर भैया जिवरा धक धक लागे
लुगरा पोलखा साया कुचछूच ला नई भेजीस।
काय पथ पाखा मय कर डारेव सास मोला खीझीस
गोठ बात मैके के करथस करेस बड़ाई,
देक्खे लुगरा नई आइस नई आईस भाई।
बढ़ धनवन्ता के बेटी हावव कहिथस,
दूसर ला तै देख देख के हासथ रहिथस।
कहां सटकगे गोठबात हासथ चरकट्टी,
बार महीना के तिहार होगे गुड़मिट्टी
रोवत सुसकत आंसू पूछय सास हा ठोलय,
ननद सुनावय उल्टा फूलटा मन ला टोरय
हे तीजा महरानी कैसे मोला छोड़े,
हांसत रहेव मैके जाहौ मैं मन ला जोड़े।
मय अपराधी कैसे करिहों तीजा माता,
बार-बार तोर विनती हवै नवावत माथा
मौर फदिहत ला राख़ दे दाई कार्ट हों आसा
नई तो होहों रतिहा भर में सत्या नासा।
लेके आइस संग नौकर मंगलू फगुवा,
नदिया पूरा आए हे बहिनी गाव बोहागे
तिड़ी बिड़ी सब झन होंगे गाव ढहागे,
आज तीजा इन्हें माना ले गांव दशेरा
रोबे-गाबे झन मोर बहिनी जाथन डेरा
गाँव के दूरी ननद सा सब अचरज ठाड़े,
मैके के सब चीज देख के अचरज बाढ़े।
हे मोर तीजा माता तैहर लाज ला रखे,
रहिहौ दाई तो व्रत ला में करुहा खाके।