आधे-अंधेरे
आधे उजाले में
एक नन्हा बच्चा
अपनी तितली उंगलियों से
हथकरघे पर
कालीन बुन रहा था।
एक दिन
एक आदमी
मिर्ज़ापुर ज़िले के
उस गाँव गया
जहाँ नन्हा दिलीप
अनेक अधनंगे बच्चों संग
एक विशाल कालीन को
किसी जाल की मानिंद
बुन रहा था
उस आदमी ने बच्चे से पूछा:
क्या तुम जानते हो
मित्र देश की महारानी ने
तुम्हारा वाला कालीन
तैईस लाख़ में ख़रीद लिया है ?
बच्चे ने पलकें झपकाईं
और भोलेपन से पूछा:
तैईस लाख कितने होते हैं बाबू जी ?