भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तिरंगा / श्रीप्रसाद
Kavita Kosh से
छूता है आकाश तिरंगा
बादल के है पास तिरंगा
भारत की है आस तिरंगा
भारत के ऊपर छाया है
दूर हवा में लहराया है
सूरज ने आ चमकाया है
हम गाते हैं इसका गाना
‘जन-गण-मन’ है गीत सुहाना
इस झंडे के नीचे आना
जब गुलाम था भारत प्यारा
तब झंडा था यही सहारा
इस झंडे से दुश्मन हारा
हमने इसका गाना गाया
सारा देश उमड़कर आया
उस दिन था दुश्मन थर्राया
कितनों ने ही की कुर्बानी
उनकी है यह ध्वजा निशानी
वे थे सब स्वदेश अभिमानी
हम सबसे है बड़ा तिरंगा
अडिग भाव से खड़ा तिरंगा
सबके मन में चढ़ा तिरंगा।