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तिरबेदी जी का दैनिक जीवन / शुभम श्री
Kavita Kosh से
उठे
दातुन की
हवाई-चप्पल में दौड़ लगाई
बेटी ने अँग्रेज़ी बोली
गर्व किया
रोटी सब्ज़ी खाई
कार चलाई
यूनीवर्सिटी आए
तुलसीदास पढ़ाए
विद्यार्थियों को सदाचार सिखाया
रेसर बैक में ब्रा की स्ट्रेप देख विचलित हुए
भारतीय संस्कृति के पतन पर लेख लिखा
शिष्य आए
मालिश करवाए
चाय लाए
(इनके पास हज़ार का नोट था)
घर आए
दाल भात खाए
सोए
सीरियल देखा
पत्नी सो गई तो फ़ेसबुक खोला
तिरेपन लड़कियों की तस्वीर लाइक की
तेईस पर कमेण्ट किया
‘तुम अपूर्व सुन्दर हो’
तेरह को इनबॉक्स किया
‘तुम्हारी याद आ रही है’
तीन ने जवाब दिया
‘धन्यवाद सर
आप पिता समान हैं
आपका आशीर्वाद बना रहे’