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तिरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा / नज़ीर बनारसी

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तिरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
तुझे मेले में सब देखेंगे मेला कौन देखेगा

तमन्ना की जगह लाशे तमन्ना कौन देखेगा
अब अपने जीते जी अपना जनाजा कौन देखेगा

जहाँ होती रही है मुद्दतों नग़्मात की बारिश
वहाँ पर अब खमोशी का बसेरा कौन देखेगा

बहर सूरत तुम्हारे हक में दुनिया फैसला देगी
तुम्हें देखेंगे सब, जा और बेजा कौन देखेगा

जरा रूकिए अभी जाते है क्यों शादी की महफिल से
हसीं रात आपने देखी सवेरा कौन देखेगा

न ठप हो जाए तेरा कारोबारे मैकदा साकी
तिरी आँखों के होते जामों मीना कौन देखेगा

बहुत सुन्दर तिरा संसार ऐ संसार के मालिक
मगर जब सामने तू है तो सपना कौन देखेगा

अदाए मस्त से बेखुद न कीजे सारी महफिल को
तमाशाई न होंगे तो तमाशा कौन देखेगा

मुझे बाजार की ऊँचाई-नीचाई से क्या मतलब
तिरे सौदे में सस्ता और महँगा कौन देखेगा

अगर दीदार का मेयार दीवाने गिरा देंगे
तो फिर सूली पे चढ़ के तेरा जल्वा कौन देखेगा

अगर बादे मुखालिफ <ref>विपरीत हवा</ref> चल गयी तो मैं भी चल दँूगा
चिरागे आरजू को झिलमिलाता कौन देखेगा

तुम्हारी बात की ताईद करता हूँ मगर किब्ला
अगर उक्बा <ref>परलोक</ref> ही सब देखें तो दुनिया कौन देखेगा

’नजीर’ आती है आने दो सफेदी अपने बालों पर
जवानी तुमने देखी है बुढ़ापा कौन दंखेगा

शब्दार्थ
<references/>