भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तिलकामांझी / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अमरवीर बलिदानी तिलका
के छेलै? कहियोॅ तेॅ कक्का।

तिलका तिलके मांझी छेलै
तीर-धनुष सें जे कि खेलै
प्रजाविराधी पर गुस्सावै
अंग्रेज तेॅ कुछुवोॅ नै भावै।

क्लीवलैंड के काल छेलै ऊ
देशभक्ति के भाल छेलै ऊ
पकड़ैलै तेॅ हाँसै छेलै
भलैं निकट ही फाँसी छेलै।

आजादी के पहलोॅ सैनिक
ई समझै में केकरा की दिक।