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तिसळता पग / सांवर दइया
Kavita Kosh से
घणोई काठो राख्यो
म्हैं तो म्हारो मन
पण निभी कोनी
जद देखी रोटी री गोळाई
अर गोरै भरवां डील आळी लुगाई
इसो तिसळियो एकर
कै हाल तांई तिसळ रैयो हूं
संभळण री कोसीस करूं तो
ऐड़ै-छेड़ै ऊभा लोग
संभळण कोनी देवै ।