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तीजौ फेरौ / अर्जुनदेव चारण
Kavita Kosh से
म्हैं
सूंप देवूंला
थनै म्हारौ बळ
थूं बाजजे अपरबळी
करजे म्हारी रिच्छा
रोपजे
म्हारै सारूं ई
अेक खूंटौ
ऊंची करजे
चारूं कांनी बाड़
कांटां रै घेरै
थारी छत्तरछींया
म्हैं गावूंला
थारा गुण
लौ
म्हैं
तीजौ फेरौ लेवूं