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तीन कविताएँ / वेरा पावलोवा
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१.
दर्द तुम ही तो हो सबूत
मेरी देह के अस्तित्व का
अपनी बात साबित कर दी है तुमने
अब बस भी करो
मगर मैं
कभी नहीं मानूँगी
कि देह ही है
मेरा सब कुछ।
२.
तुम तक पहुँचने के रास्ते
कविताएँ लिखती रही तुम्हारे बारे में
पूरी होने पर महसूस हुआ
ग़लत रास्ते पर थी मैं।
३.
ऐनक?
किसको पड़ी है उनकी?
वे धुँधला जाती हैं चुम्बन के समय,
रगड़ खाती हैं पलकों से,
गन्ध और आवाज़ को कर देती हैं मन्द,
आँसुओं को भटका देती हैं रास्ते से...
और किसी काम नहीं आती जब
आप तलाश रहे होते हैं उसे
जो खो गया है।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल