जब मैंने उच्चारित किया शब्द 'भविष्य'
इसका प्रथमाक्षर हो चुका था अतीत की थाती।
जब उच्चारित किया मैंने 'मौन' ,
मैंने नष्ट कर दिया उसे।
जब मैंने उच्चारित किया शब्द 'शून्य' ,
मैंने सृजित किया कुछ जो नहीं समा सकता किसी शून्य में।
जब मैंने उच्चारित किया शब्द 'भविष्य'
इसका प्रथमाक्षर हो चुका था अतीत की थाती।
जब उच्चारित किया मैंने 'मौन' ,
मैंने नष्ट कर दिया उसे।
जब मैंने उच्चारित किया शब्द 'शून्य' ,
मैंने सृजित किया कुछ जो नहीं समा सकता किसी शून्य में।