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तीरगी में रोशनी का बीज बोने दीजिये / रूपम झा
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तीरगी में रोशनी का बीज बोने दीजिये
कुछ उजालों का हमें हकदार होने दीजिये
सच में आँसू ही किसी के गम को धो देता है तो
आज पूरी रात हमको यूँ ही रोने दीजिये
दर्द की हद का हमें अनुमान भी हो जाएगा
अब गमो के पर्वतों को यूं ही ढोने दीजिये
ख़्वाब मेरे मुफलिसी में, बेबसी थे जी रहे
मेरे इन ख़्वाबों को अब चुपचाप सोने दीजिये
शिद्दतों से माँगती थी, आप वो वरदान हैं
अब मिले हैं तो मुझे ख़ुद को सँजोने दीजिए