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तीरथ-यात्रा / विंदा करंदीकर / रेखा देशपाण्डे

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तीरथ यात्रा करते करते, अनजाने
औचक पहुँचा तेरे द्वार
पा गया देह में तेरी
सब तीर्थों का सार ।

अधरों पर, सखि, वृन्दावन
प्रयाग तेरी पलकों में
माथे पर मानसरोवर
अरु गंगोत्री ग्रीवा में ।

गया तेरे गालों में समाई
और काँधे रामेश्वर
मिली द्वारिका कटि पर तेरी
श्रीकाशी है इधर उधर ।

चाह मोक्ष की किसे रही अब
चाहूँ कृपा न दूजी
तीरथयात्रा करते-करते, अनजाने में
औचक पहुँचा तेरे द्वार ।

मराठी भाषा से अनुवाद : रेखा देशपाण्डे