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तीर जब दिल के पार होता है / पूजा श्रीवास्तव

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तीर जब दिल के पार होता है
तब वफ़ा को करार होता है
 
चांद से गुफ्तगू बहाना है
जब तेरा इंतजार होता है

कोई अश्कों को और क्या कह दे
दिल का दर्दो गुबार होता है

इश्क की आग में जलने के सिवा
हुस्न में कब निखार होता है

चैन बारिश को भी नहीं आता
जब कोई बेकरार होता है

हिज्र में हम फ़कत नहीं शामिल
दिल बराबर शुमार होता है

प्यार का नाम मय रखो साकी
प्यार में भी ख़ुमार होता है

राब्ता कोई दोस्ती से रखे
कोई मतलब से यार होता है

सूद भरती हैं उम्रभर आँखें
इश्क़ ऐसा उधार होता है