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तीस / प्रबोधिनी / परमेश्वरी सिंह 'अनपढ़'
Kavita Kosh से
मेंहदी लिखी हाथ से कामिनी,
खाना परोस रही थी,
नेता-व्यापारी-अफसर
अपने पति गृहस्थ और साधु को
कच्ची मेहंदी की छाप,
भोजन पर स्पष्ट दीख जाती थी
नेता प्रसन्न थे! व्यापारी बाग-बाग
अफसर मधुर मुस्कुराया
तभी पति ने इस फूहड़पन के लिए
पत्नी को डाँटा
साधु बाबा ने कहा-बचवा
यह सुहाग भाग है
गृहस्त एक टक बिस्फारित
नेत्रों से सबको देखता रह गया