तुका बस्तर<ref>वस्त्र</ref> बिचारा क्या करे रे,
अन्तर<ref>हृदय</ref> भगवान होय ।
भीतर मैला केंव<ref>कब</ref> मिटे रे,
मरे उपर धोय ।।
भावार्थ :
तुकाराम कहते हैं कि बेचारे वस्त्र को बार-बार धोने से क्या होगा? भगवान बाहरी वस्त्र में नहीं, हृदय में निवास करते हैं। आन्तरिक मैल को कब मिटाओगे? सिर्फ़ बाहरी सफ़ाई से तो हम मर जाएँगे यानी सिर्फ़ बाहरी सफ़ाई से हमारा बचाव नहीं होगा।
शब्दार्थ
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