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तुझसे ऐ दिल, न मैं ख़फा होता / देवी नांगरानी
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तुझसे ऐ दिल, न मैं ख़फा होता
मेरा माना अगर कहा होता
वक़्त कुछ तो उसे मिला होता
दर्द ही दर्द की दवा होता
बेअसर हो गई दवा लेकिन
कुछ दुआ का असर हुआ होता
वो समझता ज़रूर मेरा ग़म
ग़म ने उसका जो दिल छुआ होता
अच्छा होता कि याद का पंछी
साथ मुझको भी ले उड़ा होता
रास्ते यूँ न मुझको भटकाते
मंज़िलों का अगर पता होता
दिन न कटते पहाड़ से ‘देवी’
साथ तेरा अगर मिला होता