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तुझे भी चैन ने आए करार को तरसे / 'क़ैसर' निज़ामी
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तुझे भी चैन ने आए करार को तरसे
चमन में रह के चमन की बहार को तरसे
इलाही बर्क वो टूटे जमाल पर तेरे
कली की तरह से तू भी निखार को तरसे
तमाम उम्र रहे मेरा मुंतज़िर तू भी
तमाम उम्र मेरे इंतिज़ार को तरसे
न हो नसीब मोहब्बत की ज़िंदगी तुझ को
सुकून-ए-ज़ीस्त को ढूँढे क़रार को तरसे
दुआ है ‘कैसर’-ए-महजूर की यही पैहम
के तू भी जल्वा-ए-रूख़्सार-ए-यार को तरसे