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तुमको बसा लूँ दिल में / देवी नांगरानी

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तुमको बसा लूँ दिल में, हसरत ये पल रही है
इक मेरी बेबसी है जो हाथ मल रही है

रिश्तों की ज़िन्दगी में बदलाव ऐसा आया
लगता है जैसे मेरी हस्ती बदल रही है

मुझको गिरा रही है लोगों की बद-निगाही
तुम मिल गए तो मेरी दुनिया सँभल रही है

यह आग की नदी है जलना तो है मुकद्दर
लेकिन ख़ुदा भरोस ये नाव चल रही है

तूफां भी आए तो कुछ चिंता नहीं है उसकी
मौजों से खेलने को, कश्ती मचल रही है

इक मात खाके नालां, इक जीत कर है शादां
हसरत यूँ अपने ‘देवी’ तेवर बदल रही है