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तुमको मेरी ख़बर कहाँ होगी / बलबीर सिंह 'रंग'

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तुमको मेरी ख़बर कहाँ होगी,
ऐसी मुझमें नज़र कहाँ होगी।

रात काटी तेरे ख़यालों में,
अब न जाने सहर कहाँ होगी।

मेरी मस्ती मुआफ़ कर देना,
थे ख़ता उम्र भर कहाँ होगी।

दर्द को दिल से लव पै न ला सके,
बेबसी इस कदर कहाँ होगी।

पीने वाले तो मिल ही जायेंगे,
मय मयस्सर मगर कहाँ होगी।

ज़िन्दगी से करें शिकायत क्यों,
मौत भी मुन्तज़िर कहाँ होगी।

सुनने वाले तो बढ़ते जाते हैं,
दास्ताँ मुख्तसिर कहाँ होगी।

रंग अब और है ज़माने का,
शायरी से गुज़र कहाँ होगी।