भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुमने कहा / देवी नांगरानी
Kavita Kosh से
तुमने कहा--
"तुम चलती चलो आगे आगे
मैं तुम्हारे पीछे पीछे हूँ"
मैं बहुत आगे निकल आई
फिर पता चला--
मैं जिंदगी हूँ, और
तुम मौत!