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तुमने काले घोड़े की नाल देखी है ? / दीपक मशाल

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तुमने काले घोड़े की नाल देखी है?
गलियों में बड़बड़ाते हुए पागल के ये अस्पष्ट शब्द
लोग हँसते उसकी बात पर
कभी लगता ज्यों वो कहता हो
'तुम अचंभित ना हो तो एक बात कहूं?'

नाल और घोड़े बीच उलझी एक गहरी बात
घोड़ा इरादा नहीं रखता
घोड़ा लक्ष्य नहीं निर्धारित करता
उसका लक्ष्य तय करता है आदमी
घोड़ा तय करता है दूरी
आदमी ही भरता है उसमे इरादों की हवा

कभी गौर से देखना शहर के भीतर किसी घोड़े को
ताँगे से बंधे घोड़े को
किसी बरात में फंसे घोड़े को
जिनकी आँखों के दोनों तरफ लगे हैं चमड़े के गत्ते
जिससे कि ना भटकने पायें घोड़े लक्ष्य से

रेसकोर्स में भागते वक़्त
उनकी पीठ पर लदे आदमी के हाथ में होती
उनकी नाक में पड़ी नकेल का सिरा

फिर भी हारा हुआ आदमी
शनि से डरा हुआ आदमी
ढूंढता है जीत
उसकी टापों तले घिसी लोहे की नाल में

जैसे उसके बने छल्ले बाँध लेंगे
उसकी बदकिस्मती..

तय कर देंगे उसका लक्ष्य
छुड़ा देंगे उसका निकम्मापन
भुला देंगे आवारगी
दिला देंगे उसे सफलता